विश्व संस्कृत दिवस पर एएमयू में कार्यक्रम

अलीगढ़ 5 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा विश्व संस्कृत दिवस के अवसर परएक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें ‘शांति और सद्भाव के लिए संस्कृत’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए आईसीसीआर के पूर्व अध्यक्ष और कला संकाय, जम्मू विश्वविद्यालय के पूर्व डीन, प्रोफेसर केदारनाथ शर्मा ने कहा कि मानवता कई मानव निर्मित और प्राकृतिक खराबियों से ग्रस्त है और यह आवश्यक है कि आने वाली पीढ़ियों को इन खराबियों से बचाने के लिए दुनिया अपने जीवन के तरीके को सही करे।उन्होंने कहा कि वर्तमान में विश्व के समक्ष अराजकता, हिंसा और विश्वास की कमी जैसी अनेक चुनौतियां है, शांति और सद्भाव की उपेक्षा की जा रही है और तथाकथित ‘महाशक्तियां’ परमाणु हथियार जमा करने की होड़ में लगी हैं। इसके अलावा, दुनिया के कई हिस्सों में भूस्खलन, बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएँ अक्सर आती रहती हैं, जबकि असाध्य बीमारियाँ हजारों लोगों की जान ले रही हैं।उन्होंने कहा कि इन सभी विषमताओं के पीछे मूल कारण धर्म, अर्थ और काम में असंतुलन है।उन्होंने कहा कि संस्कृत साहित्य हमें इन तीनों के बीच संतुलन बनाना सिखाता है। इसमें कहा गया है कि यदि हम धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति में संतुलन बनाए रखते हैं, तो हर जगह शांति और सद्भाव होगा।प्रोफेसर शर्मा ने रेखांकित किया कि संस्कृत साहित्य दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (पूरी पृथ्वी एक ही परिवार है) कहकर सार्वभौमिक भाईचारे का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि वेद ‘दे और ले’ और ‘जियो और दूसरों को जीने दो’ के सिद्धांतों पर जोर देते हैं। इससे पूर्व, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एच.एस. आचार्य ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया।

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