एएमयू प्रोफेसर ने इंटरनेशनल कांग्रेस में दिया व्याख्यान

अलीगढ, 6 नवंबरः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रोफेसर निजामुद्दीन खान ने मोरक्को के सफी में ‘जियोडायवर्सिटी, जियोहेरिटेज, जियोटूरिज्म, जियो-एजुकेशन, जियोपार्क्स और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ हाइब्रिड कांग्रेस में ‘भारत में कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव’ पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में व्याख्यान देते हुए कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण भविष्य में दुनिया को भयंकर सूखा, बाढ़, मूसलाधार बारिश, बर्फ का पिघलना और समुद्र का स्तर बढ़ना, विनाशकारी तूफान और जैव विविधता की हानि जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रो खान ने बढ़ते वैश्विक तापमान का जिक्र करते हुए कहा कि 1901 से 2020 के बीच वैश्विक तापमान में करीब 1.3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। जो विश्व के लिए एक खतरनाक संकेत है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने दुनिया में कृषि को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है और कृषि उत्पादन में कमी तथा खेती योग्य क्षेत्रों में कमी जलवायु परिवर्तन का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव है। ग्लोबल वार्मिंग और कृषि में, क्लाइन डब्ल्यू (2007) का अनुमान है कि चरम मौसम की स्थिति के कारण भारत सहित अन्य देशों में कृषि उत्पादन में 15 से 25 प्रतिशत की कमी आएगी।
प्रोफेसर निजामुद्दीन खान ने अपने व्याख्यान में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति प्रतिरोधी कृषि को बढ़ावा देने पर जोर दिया।