पोस्ट-ट्रुथ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 28 नवंबर से

अलीगढ़ 27 नवंबर: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा 28-29 नवंबर, 2023 को “पोस्ट-ट्रुथ: रिप्रेजेंटेशन इन कंटेम्परेरी लिटरेचर एंड सिनेमा” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिस में वैकल्पिक सत्य, ग्रहण किए गए तथ्य, सूचना पूर्वाग्रह, गलत सूचना, प्रेरित तर्क और निर्मित समाचार के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श किया जायेगा।

कौन जानता था कि जान-बूझकर या लापरवाही से सत्य को छुपाने से असत्य के ऐसे फ्रैंकनस्टाइनवादी विचार भी उत्पन्न हो सकते हैं जो हमें उत्तर-सत्य युग की ओर धकेल देगा, एक ऐसा युग जो लुप्तप्राय तथ्यों, फर्जी खबरों, खोखले संकेतकों और भावनात्मक राजनीति से प्रभावित है; जिसमें चाय-कॉफी के पहले कप की सामग्री से लेकर किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष के वादों तक पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि हर जानकारी छिपाई जाती है या उनमें हेरफेर की जाती है।

‘ज्ञान’ आज भी ‘शक्ति’ बना हुआ है और कॉरपोरेट और सत्तारूढ़ शक्तियों की लालच के अनुसार इसका उपयोग किया जाता है। ज्ञानोदय, आधुनिकीकरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास के बावजूद, हम जालसाजी से ग्रस्त दुनिया के इस स्तर तक कैसे पहुँचे? हम इस स्थिति तक कैसे पहुँचे जो नीत्शे के संशयवाद और काफ्केस्क संशयवाद के पहलुओं से मिलती जुलती है?

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने हमेशा अपनी आलोचनात्मक क्षमता पर गर्व किया है, जिसकी शुरुआत विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान से हुई थी। उन्होंने अपने समय में प्रचलित गलत धारणाओं के खिलाफ जमकर लिखा। इस प्रकार, यह सम्मेलन कई मायनों में ज्ञान और विद्वता की विरासत को कायम रखता है।

अंग्रेजी विभाग द्वारा पहले 2022-23 के दौरान चार सफल सम्मेलन आयोजित किये जा चुके हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, भारतीय कविता, अंग्रेजी शिक्षण के वैश्विक महत्व और आधुनिक अंग्रेजी लेखन के उत्सव जैसे उभरते विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए दुनिया भर से शिक्षाविदों और विद्वानों को इकट्ठा किया गया था।

प्रसिद्ध साहित्यिक इतिहासकार, अनुवादक और लेखिका डॉ. रख्शंदा जलील कार्यक्रम में मुख्य वक्ता होंगी जबकि कुलपति, प्रो. मोहम्मद गुलरेज़, प्रो. निसार अहमद, कला संकाय के डीन, प्रो. आरिफ़ नज़ीर और विभागाध्यक्ष प्रो. आसिम सिद्दीकी उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे। डॉ. किश्वर ज़फीर सम्मेलन की संयोजक हैं, जिन्हें शिक्षकों और शोधार्थियों के एक समूह की सहायता से इस कार्यक्रम के आयोजन की तैयारी की है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. राज कुमार, प्रो. ए आर किदवई, प्रो सैयद  नदीम ए रिज़ावी, प्रो समी रफ़ीक़, प्रो समीना खान और प्रख्यात फिल्म आलोचक श्री अनुज कुमार समेत विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षाविद, पत्रकार, शोधार्थी और विद्वान सम्मलेन में भाग लेंगे और शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। उद्घाटन सत्र में साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित (2023) दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का भी विमोचन प्रस्तावित है जिनमें प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी द्वारा कुर्रतुलैन हैदर पर एक मोनोग्राफ का अंग्रेजी अनुवाद और डॉ. हारिस कादिर और प्रोफेसर समी  रफ़ीक़ द्वारा प्रेमचंद के नाटक “कर्बला” का अंग्रेजी अनुवाद शामिल हैं।

इस से पूर्व, प्रो. असमर बेग, प्रो. मोहम्मद सज्जाद और प्रो. आयशा मुनीरा ने रैले लिटरेरी सोसाइटी के तत्वावधान में 22 से 25 नवंबर के दौरान पोस्ट-ट्रुथ विषय के विभिन्न पहलुओं पर प्री-कॉन्फ्रेंस व्याख्यान प्रस्तुत किये।

जैसा कि कहावत है कि प्रत्याशा उपलब्धि का आधा आनंद है, सम्मेलन की आयोजन समिति प्रतिभागियों के स्वागत के लिए प्रतीक्षारत है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *