राज्यों को सहारा देकर विकसित भारत के संकल्प की ओर बढ़ेगी सरकार

नई दिल्ली।

 देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में चल रही मोदी सरकार ने समग्र विकास के दृष्टिकोण पर फिर जोर दिया है। कोरोना महामारी जैसे संकटकाल में राज्यों के लिए पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण की योजना लाने वाली केंद्र सरकार लगातार इस योजना का विस्तार कर रही है और अब इसे एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है योजना के तहत 75000 करोड़ रुपये का प्रविधान कर स्पष्ट संदेश दिया है कि मोदी सरकार राज्यों को सहारा देते हुए विकसित भारत के संकल्प की ओर बढ़ना चाहती है, जिसके लिए राज्यों को भी सुधारों के प्रति सक्रियता और प्रतिबद्धता दिखानी होगी

केंद्र की मोदी सरकार ने माना है कि विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए राज्यों में समृद्धि और विकास के कई सुधार किए जाने की आवश्यकता है। इसे देखते हुए ही अंतरिम बजट में इस वर्ष पचास वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 75 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है।

पचास वर्षीय ब्याज मुक्त योजना

दरअसल, अपने पूंजीगत व्यय के आकार को लगातार बढ़ा रही केंद्र सरकार की सोच है कि ‘रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म’ के उसके सिद्धांत पर सभी राज्य भी चलते हुए आवश्यक सुधारों को अपनाते हुए आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ें। यही वजह है कि वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में पहली बार पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को पचास वर्षीय ब्याज मुक्त योजना की घोषणा की गई।

इस योजना को वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 में भी बढ़ाया गया। योजना के तहत क्रमश: 11,830.29 करोड़ रुपये, 14,185.78 करोड़ रुपये और 18,195.35 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई। मानकों और पात्रताओं की तमाम शर्तों के चलते राज्य योजना का उतना लाभ नहीं ले सके, जितने बजट की व्यवस्था केंद्र सरकार ने कर रखी थी।

लिहाजा, राज्यों के अनुरोध पर ही वित्त वर्ष 2023-24 के लिए योजना में कुछ बदलाव करते हुए उसका विस्तार किया गया। आठ क्षेत्रों में सुधारों के लिए प्रोत्साहन के रूप में 30 हजार करोड़ रुपये सहित कुल 1.30 लाख करोड़ रुपये की धनराशि बजट में आवंटित की गई थी।

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