इस्लामी इतिहास में अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर सेमिनार आयोजित

अलीगढ़ एक्सप्रेस-

अलीगढ़, 1 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस्लामिक अध्ययन विभाग द्वारा हाइब्रिड मोड में आयोजित ‘इस्लामिक इतिहास में अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदानः अतीत और वर्तमान’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में प्रसिद्ध विद्वानों और दुनिया भर के बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।

सेमिनार में इस्लामी इतिहास में अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान की समृद्ध टेपेस्ट्री और उनके समकालीन निहितार्थों का पता लगाया गया। इसने विद्वानों, शोधकर्ताओं और अभ्यासकर्ताओं को उन बौद्धिक और अकादमिक प्रवचनों में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान किया। जिन्होंने इस्लामी इतिहास और इसके वैश्विक प्रभाव की समझ को आकार दिया है।

उद्घाटन सत्र की मुख्य अतिथि, एएमयू वीमेन्स कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर नईमा गुलरेज ने दर्शन, विज्ञान और उससे आगे के बौद्धिक और शैक्षणिक प्रवचनों में मुसलमानों के अतीत के योगदान की प्रतिभा को रेखांकित किया तथा आधुनिक युग में इस विरासत को फिर से देखने और आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

मानद् अतिथि, सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन, प्रोफेसर मिर्जा असमर बेग ने समकालीन चुनौतियों के लिए प्रासंगिक व्यावहारिक संवाद की वकालत करते हुए अपने सभी आयामों में इस्लामी बौद्धिक इतिहास की समृद्धि पर जोर दिया।

एएमयू के अरबी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मो. सनाउल्लाह ने सभ्यताओं के अंतर्संबंध पर प्रकाश डालते हुए मध्ययुगीन मुस्लिम बौद्धिकता में अंतर-संस्कृतिवाद और ज्ञान के पश्चिमी पुनर्जागरण पर इसके गहरे प्रभाव का व्यापक विश्लेषण प्रदान किया। मुख्य वक्ता एएमयू में इस्लामिक अध्ययन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अब्दुल अली ने यूनानी, भारतीय और ईरानी सभ्यताओं के बीच ऐतिहासिक तुलना और टकराव और इस्लामी दुनिया के भीतर अकादमिक प्रवचनों पर उनके प्रभाव पर एक विचारोत्तेजक प्रस्तुति दी। सेमिनार के संयोजक और सह-संयोजक, क्रमशः डॉ. बिलाल अहमद कुट्टी और डॉ. ऐजाज अहमद ने कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने समापन भाषण में, सेमिनार के निदेशक और इस्लामिक अध्ययन विभाग, एएमयू के अध्यक्ष, डॉ. प्रोफेसर अब्दुल हामिद फाजिली ने सेमिनार में उनके अमूल्य योगदान के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

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