दवाओं की सुरक्षा पर जेएन मेडिकल कालिज में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारम्भ


अलीगढ़, 10 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस, इंडिया (एसओपीआई) के 21वें वार्षिक सम्मेलन के साथ-साथ दवाओं की सुरक्षा पर बहुप्रतीक्षित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन का प्रारम्भ वैज्ञानिक सत्रों की एक श्रृंखला के साथ हुआ जिसमें भारत, घाना, स्विट्जरलैंड और स्वीडन जैसे देशों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किये।

उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि, उप्साला मॉनिटरिंग सेंटर स्वीडन के निदेशक और सीईओ डॉ. पीटर हेजेल्मस्ट्रॉम ने वैश्विक स्तर पर फार्माकोविजिलेंस के महत्व पर जोर दिया और सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस इंडिया के कामकाज की सराहना की।

अपने अध्यक्षीय भाषण में एएमयू के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि यह कार्यक्रम सम्बंधित क्षेत्रों में काम करने वाले फार्माकोलॉजिस्ट और पेशेवरों को क्षेत्र में नवीनतम तकनीक और नवाचारों से लैस करने का प्रयास करेगा तथा सभी उभरते फार्माकोलॉजिस्टों को नैदानिक अभ्यास में दवाओं के तर्कसंगत उपयोग के लिए अपने ज्ञान को व्यापक बनाने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित करेगा। यह दवाओं के अतार्किक उपयोग की बेहतर समझ भी प्रदान करेगा जिससे रुग्णता और मृत्यु दर, प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं और दवा प्रतिरोध में वृद्धि होती है। सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस, इंडिया के अध्यक्ष डॉ. संदीप अग्रवाल ने कहा कि जेएन मेडिकल कॉलेज में फार्माकोलॉजी विभाग के पास अनुसंधान और शिक्षा में उत्कृष्टता की एक समृद्ध परंपरा है। यह सौभाग्य की बात है कि विभाग सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस, इंडिया के 21वें वार्षिक सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जो दवा सुरक्षा की वैज्ञानिक सीमाओं को आगे बढ़ाएगा और फार्माकोविजिलेंस के भविष्य को आकार देगा।
एसओपीआई के संरक्षक प्रोफेसर केसी सिंघल ने कहा कि मैंने आईसीएमआर परियोजना के माध्यम से देश के कई हिस्सों के उत्साही चिकित्सकों के सहयोग से प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं की निगरानी शुरू की और सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस इंडिया की भी स्थापना की। भारत के कुछ मेडिकल कॉलेजों में स्थानीयकृत, एक छोटे समूह के कार्य के रूप में उत्पन्न, प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया निगरानी को मेडिकल कॉलेजों में कई एएमसी के साथ एक राष्ट्रीय कार्यक्रम (पीवीपीआई) में बदल दिया गया है, जिसका अंतिम उद्देश्य लाभ जोखिम के संबंध में अच्छे निर्णय लेने में सहायता करना है।
मेडिसिन संकाय की डीन प्रोफेसर वीणा महेश्वरी ने कहा कि यह सम्मेलन विश्व स्तर पर मरीजों की सुरक्षा और कल्याण के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि विभिन्न पृष्ठभूमियों से आये फार्माकोविजिलेंस पेशेवरों की भागीदारी देखना बहुत रोमांचक है, और हमारी संस्था इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में नेटवर्किंग, सीखने और नवीन अनुसंधान के सृजन के लिए एक मंच प्रदान करने में बहुत गर्व महसूस करती है।
फार्माकोलॉजी विभाग के आयोजन सचिव और अध्यक्ष डॉ. सैयद जियाउर रहमान ने कहा कि यह सम्मेलन फार्माकोविजिलेंस के क्षेत्र में ज्ञान और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि “दवाओं की सुरक्षा के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता ने हमें इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए प्रेरित किया है, और मैं वास्तव में हमारे बीच ऐसे सम्मानित पेशेवरों और विशेषज्ञों को पाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज के नेतृत्व में अतिथियों द्वारा सम्मेलन स्मारिका का विमोचन भी किया गया
कार्यक्रम में घाना से डॉ. यवोन यिरेंकीवा एस्सेकु और स्विट्जरलैंड से डॉ. जोन डिसूजा शामिल थीं।
सम्मेलन के संयुक्त आयोजन सचिव डॉ. जमील अहमद ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रिया शर्मा एवं डॉ. अभिजीत श्रीधर ने किया।
पूरे दिन प्रतिभागियों को पोस्टर प्रस्तुतियों और मौखिक पेपर प्रस्तुतियों के माध्यम से अपने शोध को प्रदर्शित करने, अकादमिक आदान-प्रदान और ज्ञान के प्रसार में योगदान करने का अवसर मिला।
वैज्ञानिक सत्रों का समापन एसओपीआई की आम सभा की बैठक के साथ हुआ, जिसमें सदस्यों को प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा करने और भविष्य की कार्रवाई की योजना बनाने के लिए एक मंच प्रदान किया गया।
शाम को, प्रतिनिधियों ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया जिसमें अलीगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिली। सांस्कृतिक संध्या में जेएनएमसी के छात्रों द्वारा मनमोहक रेत कला प्रदर्शन और गायन प्रस्तुतियों के साथ-साथ प्रसिद्ध गजल गायक जॉनी फोस्टर और टीम द्वारा एक गजल संगीत कार्यक्रम पेश किया गया।
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