जेएनएमसी में मिनिमली इनवेसिव बाईपास सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया

अलीगढ़ 17 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरेसिक सर्जन्स की टीम ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहली बार मिनिमली इनवेसिव तकनीक का उपयोग करके बाईपास सर्जरी अंजाम को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।

कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष, डॉ. मोहम्मद आजम हसीन ने बताया कि अलीगढ़ निवासी मरीज, सादिक (50) ने सीने में दर्द की शिकायत लेकर कार्डियोलॉजी ओपीडी में प्रोफेसर मलिक मोहम्मद अजहरुद्दीन से परामर्श किया और उनकी सलाह पर एंजियोग्राफी कराई, जिसमें उनके हृदय की वाहिकाओं में रुकावट का पता चला, जिसके लिए उन्हें बाईपास सर्जरी की सलाह दी गई। इसके बाद उन्हें कार्डियोथोरेसिक सर्जनों के पास भेजा गया, जिन्होंने उनकी सर्जरी की योजना बनाई और उसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
प्रोफेसर हसीन ने बताया कि परंपरागत रूप से, हृदय की सर्जरी सीने की हड्डी को काटकर की जाती है, लेकिन इस मामले में छाती में 8 सेमी चीरा लगाकर सर्जरी की गई और इस तरीके के लाभ में अच्छा कॉस्मेटिक्स, कम दर्द और जल्दी ठीक होना शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की पीएम आयुष्मान योजना के तहत सर्जरी मुफ्त अंजाम गई। उन्होंने कहा कि मरीज की हालत में सुधार हुआ है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। उसके शरीर पर कोई निशान नहीं है जिससे मरीज और उसके परिवारजन बहुत खुश हैं।
प्रोफेसर मोहम्मद आजम हसीन के नेतृत्व में बाईपास सर्जरी करने वाले डॉक्टरों की टीम में डॉ. शमायल रब्बानी और डॉ. मोहम्मद आमिर शामिल थे। इसके अलावा पर्फ्यूजनिस्ट की टीम में डॉ. साबिर अली खान और इरशाद कुरैशी शामिल थे, जो पूरी प्रक्रिया के दौरान स्टैंडबाय पर रहे। एनेस्थीसिया का काम डॉ. दीप्ति चन्ना और सुश्री निदा की विशेषज्ञ टीम ने संभाला।
श्री सलमान, श्री असलम, श्री कामरान और श्रीमती आयशा ने सर्जरी में सहायता की, जबकि पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल डॉ. कार्तिक, डॉ. ललिता, डॉ. प्रवीण, डॉ. सायंतन, सुहैल-उर रहमान, इमरान, नदीम और रिनू ने अंजाम दी।
डॉ. शमायल रब्बानी ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहली बार न्यूनतम इनवेसिव दृष्टिकोण (एमआईसीएस) के माध्यम से बाईपास सर्जरी (सीएबीजी) की गई है, जबकि डॉ. मोहम्मद आमिर ने कहा कि पिछले 3 वर्षों से जेएनएमसी में वाल्व संबंधी सर्जरी के लिए एमआईसीएस का नियमित रूप से उपयोग किया जा रहा है और टीम ने अब तक ऐसे 50 से अधिक मामले अंजाम दिए हैं।
मेडिसिन संकाय की डीन और जेएन मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल और सीएमएस, प्रोफेसर वीणा महेश्वरी ने सफल सर्जरी के लिए डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह अलीगढ़ के लिए गर्व का क्षण है कि जेएनएमसी में ऐसी जटिल सर्जरी की जा रही है।

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