एएमयू द्वारा गाँधी जयंती पर महात्मा गांधी को प्रेम और सम्मान की भाव-भीनी श्रद्धांजलि

अलीगढ़ 2 अक्टूबरः दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्होंने दुनिया के इतिहास पर अमिट छाप छोड़ी हो और जिन्होंने किसी न किसी तरह से लोगों की कई पीढ़ियों के जीवन को प्रभावित किया हो।

मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें प्यार से महात्मा गांधी के नाम से याद किया जाता है, एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ के अपने बेजोड़ सिद्धांत से कई महान हस्तियों के जीवन को प्रभावित किया, और शांति और अहिंसा के इसी दूत को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मौलाना आजाद लाइब्रेरी में महात्मा गांधी की 154वीं जयंती ‘गांधी जयंती’ पर एक बड़े समारोह का आयोजन किया गया।

मौलाना आजाद लाइब्रेरी के सांस्कृतिक हॉल में एएमयू शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों की एक सभा को संबोधित करते हुए, कुलपति, प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि महात्मा गांधी विश्व के महानतम नेताओं में से एक थे, जिन्होंने मार्टिन लूथर किंग जूनियर, परम पावन दलाई लामा, जेम्स बेवे, जेम्स लॉसन, नेल्सन मंडेला, बराक ओबामा और अल्बर्ट आइंस्टीन सहित कई अन्य हस्तियों को प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि यहां तक कि विंस्टन चर्चिल को भी गाँधी जी के अहिंसा की सफलता देखने के बाद उनको ‘नग्न फकीर’ कहने पर अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी थी।कुलपति ने गांधी के सिद्धांतों की वैश्विक मान्यता को रेखांकित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष ने दुनिया भर में उपनिवेशवाद की समाप्ति को प्रेरित किया। उन्होंने दुनिया से गांधी जी के करुणा, अंतरधार्मिक शांति और बुद्धि एवं आत्मा के सामंजस्य के मूल्यों को अपनाने का आग्रह किया।उन्होंने एएमयू के साथ गांधी जी के घनिष्ठ संबंध पर भी प्रकाश डाला और बताया कि गांधी जी को 1920 में एएमयू छात्र संघ के पहले ‘आजीवन सदस्य’ के रूप में सम्मानित किया गया था, जो संस्थान के इतिहास में उनके अद्वितीय स्थान को दर्शाता है।प्रोफेसर गुलरेज ने बाद में राष्ट्र की स्वतंत्रता और अखंडता को संरक्षित और मजबूत करने के लिए समर्पण के साथ काम करने की शपथ दिलाई। उन्होंने एएमयू शिक्षकों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का ‘स्वच्छता शपथ’ (स्वच्छता प्रतिज्ञा) में यह कहकर नेतृत्व किया कि महात्मा गांधी ने एक विकसित और स्वच्छ देश की कामना की थी जिसको पूरा करना हमारा दायित्व है।इससे पूर्व दिन में, कुलपति ने डिस्प्ले केस और पेडस्टल में रखी दुर्लभ पुस्तकों और दस्तावेजों और दुर्लभ फ्रेम वाली तस्वीरों की एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसमें महात्मा गांधी के बचपन, एक वकील और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता के रूप में उनके जीवन, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और साबरमती आश्रम की गतिविधियाँ में उनकी भागीदारी को दर्शाया गया था। यह दो दिवसीय प्रदर्शनी, प्रातः 9 बजे से शाम 5 बजे तक आगंतुकों के लिए 3 अक्टूबर तक खुली रहेगी।एएमयू रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) भी इस अवसर पर उपस्थित थे।प्रोफेसर मोहिबुल हक (राजनीति विज्ञान विभाग) ने अपने भाषण में बताया कि गांधी जी की प्रासंगिकता अब पहले से कहीं अधिक तीव्रता से महसूस की जाती है जब मानवता को कई बुराइयों का सामना है और समाज को एक बार फिर एक ऐसे मसीहा की जरूरत है जो किसी न किसी बहाने बड़े पैमाने पर नफरत का इलाज ढूंढ सके।उन्होंने कहा कि गांधी जी अक्सर असहाय महसूस करते थे जब वे दुनिया को अशांति की स्थिति में देखते थे, जो आदर्शों के बीच मतभेदों का परिणाम था।प्रोफेसर विभा शर्मा (अंग्रेजी विभाग) ने इस बात पर जोर दिया कि गांधी जी ने अपना सारा जीवन अहिंसा और सत्य को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया क्योंकि उनका मानना था कि दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे अहिंसा, करुणा और प्रेम से नहीं जीता जा सके।उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी एक महान आत्मा थे जो उन लोगों से भी प्यार करते थे जो अहिंसक तरीकों का उपयोग करके समाज में शाश्वत शांति लाने के लिए उनके आदर्शों के खिलाफ खड़े थे।एएमयू के छात्र मोहम्मद अली (बीए द्वितीय वर्ष) और खान आमना आसिम (बीए फाइनल) ने भाषण दिया कि कैसे महात्मा गांधी ने सत्य के साथ प्रयोग किया और कैसे अहिंसा पर आधारित उनके विचार नई दुनिया में पहले की तुलना में अधिक प्रासंगिक हैं।प्रोफेसर फायजा अब्बासी (निदेशक, यूजीसी-एचआरडीसी) ने कार्यक्रम का संचालन किया।मेहमानों और उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, यूनिवर्सिटी लाइब्रेरियन प्रोफेसर निशात फातिमा ने प्रदर्शनी की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के कई हस्तलिखित पत्र, जिनमें 29 जुलाई, 1942 को एएमयू के एक पुरातन छात्र अब्दुल बारी को संबोधित पत्र, तथा 7 जनवरी, 1937 को एएमयू छात्र संघ के महासचिव को लिखे गए पत्र शामिल हैं, प्रदर्शनी का विशेष आकर्षण हैं।उन्होंने कहा कि गांधी जी का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से विशेष रिश्ता था और उन्होंने कई बार अलीगढ़ का दौरा किया।एनएसएस एएमयू यूनिट, अहमदी स्कूल फॉर द विजुअली चैलेंज्ड, सीनियर सेकेंडरी स्कूल-गर्ल्स, सैय्यद हामिद सीनियर सेकेंडरी स्कूल, एएमयू एबीके हाई स्कूल (बॉयज और गर्ल्स), एएमयू गर्ल्स स्कूल, अब्दुल्ला स्कूल, एएमयू सिटी गर्ल्स हाई स्कूल, आरएमपीएस एएमयू सिटी स्कूल और एसटीएस स्कूल में भी विशेष कार्यक्रमों के साथ गांधी जयंती मनाई गयी।