डा. तसद्दुक़ हुसैन के नहीं रहे, एएमयू में शोक

अलीगढ़, 24 जनवरीः शानदार शख्सियत के मालिक, बेहद ज़िंदादिल और बेबाकी से अपनी बात रखने वाले इंसान डा. तसद्दुक़ हुसैन का 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें आज यूनिवर्सिटी कब्रिस्तान के शिक्षकों व उनके शुभचिंतकों की उपस्थिति में सुपुर्दे खाक किया गया।

डा. तसद्दुक हुसैन 1980 से 2005 तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभग में बतौर लेक्चरर और रीडर कार्यरत रहे। वे इस्लामिक दर्शन के विशेषज्ञ थे। उन्होंने प्रो. नूर नबी के निर्देशन में ’शाह वलीउल्लह के दर्शन’ पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी। अनेक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनारों में उन्होंने शोध पत्र प्रस्तुत किये। वे अलीगढ़ जर्नल आफ़ इस्लामिक स्टडीज़’ के संपादक-मंडल के सदस्य रहे। वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल के निर्वाचित सदस्य भी रहे। दर्शनशास्त्र के के अतिरिक्त उन्होंने अंग्रेजी में भी एम.ए. किया था। उर्दू और अंग्रेजी साहित्य के अतिरिक्त शास्त्रीय संगीत में भी उनकी गहरी पैठ थी। अलीगढ़ के साहित्यिक और संगीतिक कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय और उल्लेखनीय भूमिका रहती थी।

डा. तसद्दुक़ हुसैन बहुत बचपन में ही पूर्ण अंधता के शिकार हो गये थे, किंतु आजीवन उन्होंने अपनी इस विकलांगता को अपने ऊपर कभ्ज्ञी हावी न होने दिया। वे प्रत्येक काम के लिए अकेले ही चला करते थे। उन्होंने कभी इस संदर्भ में अपने लिए किसी भी क़िस्म की रियायत न चाही, न स्वीकार की। उन्होंने दिव्यांगता पर विजय प्राप्त कर ली थी। वे नेशनल फे़डरेशन फाॅर ब्लाइंड से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। इस संदर्भ में उन्होंने अनेक अधिकार दिलाने के लिए निरंतर संघर्ष किया और सफलता प्राप्त की।

डा. तसद्दुक़ हुसैन के निधन पर अलीगढ़ बिरादरी शोक में है और अनेकविध रूप से उनकी ज़िंदादिली, सक्रियता, बाधाओं को जीत लेने की क्षमता, लोगों से दिली लगव, धर्मनिरपेक्षता का स्मरण कर रही है। आज उनको सुपुर्दे खा़क करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति के दौरान यह देखने को मिला। अमुवि के कुलपति प्रो. मुहम्मद गुलरेज ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

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