मंगलायतन विश्वविद्यालय में उगाई जा रही पांच फीट की लौकी

मुशीर अहमद खां –

किसानों को जागरूक करने के साथ किया जाएगा प्रशिक्षित


अलीगढ़। लौकी सब्जी के अलावा मिठाई, रायता, आचार, कोफ्ता, खीर आदि बनाने में प्रयोग की जाती हैं। इससे कई प्रकार की औषधियां भी बनती हैं। लौकी खाने में फायदेमंद होने के कारण चिकित्सक भी रोगियों को खाने की सलाह देते हैं। इन दिनों मंगलायतन विश्वविद्यालय के कृषि संकाय द्वारा उगाई गई लौकी आकर्षण का केंद्र बनी है। कारण यह है कि इसका रंग व स्वाद तो आम लौकी जैसा ही है लेकिन देखने में यह बिल्कुल अलग है। नरेंद्र शिवानी प्रजाति की इस लौकी की लंबाई करीब पांच फीट है। कृषि संकाय के प्राध्यापकों व विद्यार्थियों ने अभी लौकी की इस फसल को बीज प्राप्त करने के लिए तैयार किया है। इस किस्म की फसल के उत्पादन से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।कुलपति प्रो. पीके दशोरा, प्रति कुलपति प्रो. सिद्दी विरेशम, कुलसचिव बिग्रेडियर समरवीर सिंह, परीक्षा नियंत्रक प्रो. दिनेश शर्मा ने कृषि संकाय के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार के साथ कृषि क्षेत्र का निरीक्षण किया। इस दौरान पौली हाउस के समीप मचान पर उगाई जा रही नरेंद्र शिवानी किस्म की लौकी का अवलोकन किया। कुलपति ने फलों की लंबाई व चैड़ाई की नाप कराई। फलों की लंबाई वर्तमान में चार फुट आठ इंच है और मोटाई करीब नौ इंच है। कुछ दिनों में इस उत्पाद की लंबाई और बढ़ने की संभावना है।कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में यह लौकी किसानों जागरूक करने एवं शुद्ध बीज तैयार करने के लिए उगाई जा रही है। उन्होंने बताया कि लौकी एक अनोखी सब्जी है जो औषधि, वाद्ययंत्र, सजावट आदि के रूप में भी प्रयोग की जाती है। कुलसचिव ने बताया कि विश्वविद्यालय किसानों को जागरूक करने के साथ उन्हें उन्नत किस्मों से बेहतर लाभ कमाने के लिए प्रशिक्षित करेगा।प्रो. प्रमोद कुमार ने बताया कि इस लौकी की फसल की बुआई जुलाई में की गई थी। इस किस्म का औसत उत्पादन 700-800 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। एक हजार कुंतल प्रति हेक्टेयर तक इसका उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म का स्वाद व पोषक तत्व दूसरी प्रजातियों के समान ही होते हैं। इसमें प्रोटीन 0.2 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, फाइबर 0.8 प्रतिशत, शर्करा 2.5 प्रतिशत, ऊर्जा 12 किलो कैलोरी, नमी 96.1 प्रतिशत है। वहीं गोल फलों वाली प्रजाति नरेंद्र शिशिर भी उगाई गई है। दिसंबर तक इसका बीज तैयार हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस प्रजाति का विकास प्रो. शिव पूजन सिंह ने शुद्ध पंक्ति चयन विधि द्वारा किया है। इस अवसर पर डा. आकांक्षा सिंह, डा. विकास यादव, डा. शारदा दुबे, डा. पुष्पा यादव, डा. पवन कुमार सिंह, डा. मयंक प्रताप आदि थे।

मंगलायतन विश्वविद्यालय में लौकी की फसल का अवलोकन करते कुलपति प्रो. पीके दशोरा व अन्य।

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