जेएनएमसी में मिनिमली इनवेसिव डबल वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी

अलीगढ़ 5 अक्टूबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में डा मोहम्मद आज़म हसीन के नेतृत्व में कार्डियोथोरेसिक सर्जनों की एक टीम ने उत्तर प्रदेश में पहली बार न्यूनतम इनवेसिव तकनीक का उपयोग करके डबल वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर हसीन ने बताया है कि खुर्जा, बुलंदशहर के रहने वाले 60 वर्षीय देवपाल के दिल के दो वाल्व सिकुड़ गए थे, जिसके लिए उन्हें सर्जरी की जरूरत थी। कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर आसिफ हसन ने मरीज का उपचार किया और उसे उच्च इलाज के लिए कार्डियोथोरेसिक सर्जनों के पास सर्जरी के लिए रेफेर किया।हृदय शल्य चिकित्सा की योजना डॉ. हसीन, डॉ. शमायल रब्बानी और डॉ. मोहम्मद ग़ज़नफ़र सहित सर्जनों की एक टीम द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार की गई थी। सर्जरी के लिए हृदय को 90 मिनट के लिए रोका गया था, जिसके दौरान हृदय और फेफड़े के कार्य का प्रबंधन क्लिनिकल परफ्यूज़निस्ट डॉ. साबिर अली खान और इरशाद कुरेशी द्वारा किया गया, और एनेस्थीसिया का प्रबंधन डॉ मनाज़िर अतहर और उनकी टीम द्वारा किया गया था। पोस्टऑपरेटिव देखभाल डॉ अज़ीम, डॉ तौसीफ, सुहैल-उर रहमान, इमरान, नदीम और रिनू द्वारा प्रदान की गई थी।प्रोफ़ेसर हसीन ने बताया कि परंपरागत रूप से हृदय की सर्जरी सीने की हड्डी को काटकर की जाती है, लेकिन इस मामले में, उन्होंने मरीज की छाती में 5 सेमी चीरा लगाकर सर्जरी की, क्योंकि इस प्रक्रिया में आसानी, कम दर्द और जल्दी ठीक होने का फायदा मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की पीएम जय (आयुष्मान) योजना के तहत सर्जरी निःशुल्क की गई और संतोषजनक सुधार दिखने पर मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।डॉ. शमायल रब्बानी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहली बार मिनिमली इनवेसिव एप्रोच (एमआईसीएस) के माध्यम से डीवीआर किया गया है। डॉ. ग़ज़नफ़र ने कहा कि जेएनएमसी में एमआईसीएस नियमित रूप से किया जा रहा है और उनकी टीम ने पिछले 2-3 वर्षों में 50 से अधिक मामले किए हैं।मेडिसिन संकाय की डीन प्रोफेसर वीणा महेशरी ने सर्जरी में शामिल डॉक्टरों की टीमों को बधाई दी। प्रोफेसर हारिस मंज़ूर, प्रिंसिपल और सीएमएस, जे.एन. मेडिकल कॉलेज ने कहा कि यह अलीगढ़ के लिए गौरव का क्षण है कि जेएनएमसी में ऐसी जटिल सर्जरी हो रही हैं।

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