प्रो. सीमीं हसन की स्मृति में शोक सभा आयोजित

अलीगढ़, 31 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के छात्रों और स्टाफ सदस्यों ने वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रोफेसर सीमीं हसन के दुखद निधन पर शोक व्यक्त किया, जिनका गत 23 मई को निधन हो गया था।

प्रोफेसर हसन वर्ष 1984 में एएमयू में अंग्रेजी विभाग में व्याख्याता के रूप में शामिल हुई, 1997 में रीडर बनीं और बाद में 2005 में प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत हुई। 2015 से 2018 तक, प्रोफेसर हसन ने अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष रहीं। लोरेटो कॉन्वेंट, लखनऊ में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने अपनी स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएच.डी. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पूर्ण की।

शोक संदेश पढ़ते हुए विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर शाहीना तरन्नुम ने कहा कि प्रोफेसर हसन अपनी स्पष्ट शिक्षण शैली, गहरी सहानुभूति और अपने आसपास के लोगों को प्रेरित करने की उल्लेखनीय क्षमता के लिए जानी जाती थीं। प्रोफेसर हसन अपने काम के प्रति समर्पण और छात्रों और सहकर्मियों पर उनके गहरे प्रभाव ने हमारे शैक्षणिक समुदाय पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

प्रोफेसर तरन्नुम ने कहा कि प्रो. हसन न केवल एक सम्मानित विद्वान थीं बल्कि एक प्रिय शिक्षक भी थीं अपने छात्रों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, उनके परिष्कृत व्यक्तित्व और उनके व्यावहारिक शोध ने विभाग के शैक्षणिक वातावरण को समृद्ध किया।

विभाग के शिक्षक प्रोफेसर रिजवान खान ने प्रो. सीमीं हसन के खराब स्वास्थ्य के बावजूद उनकी सीख और विषम परिस्थितियों में भ्ज्ञी काम करने की क्षमता के बारे में बात की।

प्रोफेसर समीना खान ने वर्षों से प्रोफेसर सीमीं हसन के साथ अपने भावनात्मक संबंधों के बारे में चर्चा की।

प्रोफेसर समीं रफीक ने हॉस्टल के दिनों से उनके साथ अपने जुड़ाव को याद किया। उन्होंने कहा कि प्रो. हसन एक वरिष्ठ शिक्षक के रूप में हमेशा अपने स्नेहपूर्ण और दयालु हृदय के लिए सदैव याद की जाएंगी।

प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी ने उनकी समय की पाबंदी, कार्य नैतिकता और व्यावसायिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर हसन ने अपनी बीमारी के दौरान कभी भी विभाग से कोई छूट नहीं मांगी, जो एक दुर्लभ और अनुकरणीय पेशेवर आचरण है। उन्होंने अत्यधिक सम्मानित द अलीगढ़ जर्नल ऑफ इंग्लिश स्टडीज के संपादकीय बोर्ड के सदस्य के रूप में उनकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

प्रोफेसर आयशा मुनीरा ने बताया कि किस प्रकार प्रोफेसर हसन ने उन्हें सख्त और साहसी बनने की बहुमूल्य सलाह दी।
प्रोफेसर हसन के बेटे डॉ. सैफ हसन, जो अमेरिका में सहायक प्रोफेसर हैं, ने भी इस अवसर पर बोलते हुए बेटे के रूप में अपनी यादें साझा कीं।
डॉ. सिद्धार्थ चक्रवर्ती, प्रोफेसर टी.एन. सतीसन और कला संकाय के डीन प्रोफेसर आरिफ नजीर ने भी इस अवसर पर बात अपने विचार व्यक्त किये और अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *