एसएएई का अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन जेएन मेडिकल कालिज में आरंभ्ज्ञ

अलीगढ़ 20 नवंबरःएसएएई-इंडिया के छठे अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन समारोह आज जेएन मेडिकल कालिज ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। दुनिया भर के प्रख्यात वैज्ञानिकों, विष विज्ञानियों, पशु कार्यकर्ताओं, फार्माकोलॉजिस्ट, विशेषज्ञों, विद्वानों और छात्रों की मौजूदगी में समारोह की अध्यक्षता एसएएई-इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर वाई.के गुप्ता ने एएमयू के कुलपति प्रो. मोहम्मद की मौजूदगी में की।

प्रोफेसर गुलरेज ने गर्मजोशी से प्रतिनिधियों को संबोधित किया और इन-विट्रो और एक्स-विवो में पशु प्रयोगों के सिमुलेशन के प्रयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रोफेसर गुलरेज ने अतीत के अध्ययन का भी उल्लेख किया। उन्होंने भारत के फार्मास्युटिकल उद्योगों जगत को भी बधाई दी, जिन्होंने अपने उत्पादों में जानवरों पर प्रयोग पहले ही बंद कर दिए हैं।

अध्यक्ष प्रो. वाई.के. गुप्ता ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को ज्ञान और संस्कृति का केंद्र बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के साथ जुड़ना उनके लिए गर्व की बात है। पशु प्रयोगों के विकल्प को तलाशने के लिए आयोजकों को धन्यवाद दिया। प्रोफेसर वाई.के.गुप्ता ने यह भी बताया कि सोसायटी का उद्देश्य अनुसंधान के लिए दुनिया भर में उच्च बायोमेडिकल अनुसंधान में जानवरों पर किए जा रहे सभी प्रयोगों को रोकना नहीं है, बल्कि इसके उपयोग को तर्कसंगत बनाना है। प्रो. वाई.के. गुप्ता ने अध्ययन की गुणवत्ता से समझौता किए बिना, जानवरों के उपयोग को कम करने के लिए सोसायटी के उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि इस उद्देश्य को वास्तविकता में लाने के लिए बहुत सारी राजनीतिक इच्छाशक्ति और अकादमिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगी। उन्होंने अपनी अकादमिक इच्छाशक्ति के साथ संगठन से सहयोग के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएनएमसी के फार्माकोलॉजी विभाग के सहयोग की भी सराहना की।

आयोजन सचिव और जेएनएमसीएच के फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सैयद जियाउर रहमान ने कहा कि भारत में पशु प्रयोगों के विकल्पों को अपनाने को बढ़ावा देने के साथ-साथ विश्वविद्यालयों, संस्थानों और उद्योगों के साथ मिलकर काम करने के विचार पर एक साथ बैठने और चर्चा करने की आवश्यकता की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नई वैकल्पिक पद्धतियाँ लाएँ और उपयुक्त एजेंसी द्वारा मान्य करवाएँ। प्रोफेसर डॉ. सैयद जियाउर रहमान ने कहा कि विभिन्न कार्यशालाओं के माध्यम से जानकारी इकट्ठा करने और फैलाने से 10-15 साल पहले इस दिशा में काम शुरू किया था।

मेडिसिन संकाय की डीन प्रो. वीणा माहेश्वरी ने पशु जीवन के बुनियादी अधिकारों को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार के लिए समाज के लक्ष्यों और उद्देश्यों पर जोर दिया।

प्रिंसिपल सीएमएस प्रोफेसर हारिस एम. खान ने अपने उस समय को याद किया जब चिकित्सा विज्ञान में पशुओं पर प्रयोग किया जाता था। उन्होंने कहा कि वह निर्दोष जानवरों के जीवन से समझौता किए बिना शोध के मानक को ऊंचा रखने के विकल्पों का प्रयोग एक सराहनीय कदम है।

प्रो. गोपीनाथ पैकिरीस्वामी, प्रमुख, सेंटर फॉर नैनोटेक्नोलॉजी, बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, रूड़की को दीप्ति एम कपूर एंडोमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया और लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जे.एन. मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. के.सी. सिंघल को दिया गया।

स्मारिका का अनावरण अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज, पत्रिका के संपादक – डॉ. फरहान अहमद खान, पत्रिका के सह-संपादक – डॉ. इरफान अहमद खान के साथ किया।

प्रो. वाई.के.गुप्ता (अध्यक्ष, एम्स जम्मू), डॉ. एम.ए. अकबरशा (महासचिव, एसएएई-आई) और डॉ. अंकिता पांडे (पेटा, भारत), सविता नूतन, डॉ. एड्रियन स्मिथ, डॉ. थॉमस हार्टुंग, ममता मिश्रा, भरत बसवपट्टन रुद्रेश, श्रीरूपा मित्रा, जैमिश प्रजापति, प्रियंका मिश्रा, बाराड आई.एम., डॉ. क्रिश्चियन पेलेवोइसिन, प्रो. एस. रईसुद्दीन, प्रो.एफ. नोबुहिको कोजिमा, निक जूल्स इस सम्मेलन में आमंत्रित विशिष्ट वक्ताओं में से थे

अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जमील अहमद ने किया।

कार्यक्रम का संचालन डा. विभु पांडे और डॉ. अभिजीत श्रीधर ने किया।

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