दो दिवसीय एएमयू न्यूरोअपडेट 2023 जेएन मेडिकल कालिज में संपन्न

मुशीर अहमद खां –
अलीगढ 25 अक्टूबरः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के न्यूरोसर्जरी विभाग द्वारा अलीगढ एसोसिएशन ऑफ न्यूरोसाइंसेज के सहयोग से दो दिवसीय न्यूरोअपडेट-2023 सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें एक सीएमई और एक एएमयू न्यूरोसर्जरी एलुमनी मीट भी शामिल थी।उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, मुख्य अतिथि, प्रोफेसर वी.के. जैन, वरिष्ठ निदेशक, न्यूरोसर्जरी, मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली और पूर्व अध्यक्ष, न्यूरोसर्जरी विभाग, एसजीपीजीआई, लखनऊ ने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, एएमयू में न्यूरोसाइंसेज संस्थान की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया। उनहोंने कहा कि जेएन मेडिकल कालिज हालांकि बड़े स्तर पर लोगों को न्यूरो चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा रहा है लेकिन रोगियों की बढ़ती संख्या के दृष्टिगत इसको और अधिक विस्तार दिये जाने की आवश्यकता है।गंगा राम अस्पताल, दिल्ली के न्यूरोसर्जरी के उपाध्यक्ष डॉ. अजीत सिन्हा ने केवल एंडोवास्कुलर प्रक्रियाओं के बजाय, सेरेब्रल एन्यूरिज्म के रोगियों में क्लिपिंग के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।डॉ. अनिर्बान बनर्जी, एसोसिएट डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी, मेदांता, गुरुग्राम ने पार्किंसंस रोग के रोगियों में गहरी मस्तिष्क उत्तेजना की भूमिका पर चर्चा की।डॉ. सत्यकाम बरुआ, कंसल्टेंट न्यूरोसर्जरी, अमृता हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद ने मिर्गी के रोगियों को शीघ्र सर्जरी के लिए समर्पित मिर्गी इकाइयों में भेजने के महत्त्व पर जोर दिया।डॉ. दीपक सिंह, आरएमएलआईएमएस, लखनऊ और डॉ. रशिम कटारिया, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर ने क्रैनियोवर्टेब्रल जंक्शन विसंगतियों के रोगियों के लिए उपचार के तौर-तरीकों पर विस्तार से बात की और सर्जरी से पहले इन रोगियों में 3डी प्रिंटिंग के महत्त्व को रेखांकित किया। मेदांता, गुरुग्राम के डॉ. सुधीर दुबे ने वक्षीय रीढ़ की विकृति वाले रोगियों के इलाज के लिए न्यूनतम आक्रामक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला, क्योंकि ये क्षेत्र सर्जरी के दौरान चोटों के लिए सबसे अधिक संवेदनशील हैं।डॉ. तारिक मतीन, पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम, डॉ. कमलेश भैसोरा, एसजीपीजीआई, लखनऊ और डॉ. प्रज्ञान सरमा, सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली ने स्ट्रोक का कारण बनने वाले मस्तिष्क संवहनी घावों के उपचार के लिए विभिन्न माइक्रोसर्जिकल और एंडोवास्कुलर तौर-तरीकों पर चर्चा की।आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर एम.एफ. हुदा ने विभाग की स्थापना के बाद से न्यूरोसर्जरी विभाग के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विभाग के योगदान को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया है।इस अवसर पर विभाग के संस्थापक अध्यक्ष प्रोफेसर वी.के. श्रीवास्तव और एनेस्थीसियालोजी विभाग की प्रोफेसर शहला हलीम (सेवानिवृत्त प्रोफेसर) को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं एवं विभाग की स्थपना में सहयोग पर सम्मानित किया गया।मेडिसिन संकाय की डीन, प्रोफेसर वीणा महेश्वरी और जे.एन. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और सीएमएस, प्रोफेसर हारिस मंजूर ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले मरीजों को इलाज प्रदान करने वाले इस विभाग के काम की सराहना की।इससे पूर्व, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रमन शर्मा ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए अतिथि वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत किया, जिन्होंने सम्मेलन के वैज्ञानिक सत्र के दौरान अपने पेपर भी प्रस्तुत किये। उन्होंने निरंतर चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विभाग भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रम निरंतर आयोजित करता रहेगा।अलीगढ़ एसोसिएशन ऑफ न्यूरोसाइंसेज के सचिव डॉ. संजीव शर्मा ने कॉन्फ्रेंस में न्यूरोसर्जरी के दिग्गजों की भागीदारी पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य मस्तिष्क संबंधी बीमारियों से संबंधित शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और शिक्षकों और छात्रों को न्यूरोसर्जरी में नए विकास के बराबर लाना है।डॉ. अहमद अंसारी ने बताया कि एएमयू से शिक्षा प्राप्त 40 से अधिक न्यूरोसर्जन देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे हैं और इस कार्यक्रम ने सम्मेलन के समापन पर आयोजित पूर्व छात्र बैठक के माध्यम से उन सभी को फिर से जोड़ने में मदद की है।डॉ. ताबिश खान ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान ब्रेन ट्यूमर, रीढ़ और स्ट्रोक से संबंधित न्यूरोसर्जरी में हाल की प्रगति पर चर्चा की गई। दो दिन तक चली कांफ्रेंस में न्यूरो सर्जन्स ने इस क्षेत्र में हो रही आधुनिक तकनीक के विकास के अलावा उसके प्रयोग पर चर्चा की।